भारत सरकार की कैबिनेट ने 30 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले में आगामी जनगणना में जाति आधारित जनगणना को शामिल किया है।
क्योंकि, हमारे देश में विपक्षी दल लंबे समय से मांग कर रहे हैं, कि सरकार आगामी जनगणना में जाति जनगणना को भी शामिल करे।
सरकार के केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा, कि इस जाति जनगणना के फैसले से सामाजिक और आर्थिक समानता को बढावा मिलेगा।
जातीय जनगणना क्या है?
जाति जनगणना एक प्रक्रिया है, जो हमारे देश की कुल जनसंख्या में जातियों की संख्या को मापती है।
देश में हर दस साल में जनगणना की जाती है, और इस जनगणना में हमेशा आयु, शिक्षा, रोजगार, लिंग और सामाजिक एवं आर्थिक कारकों पर जानकारी एकत्र की जाती है।
लेकिन जाति जनगणना की जानकारी एकत्र नहीं की गई, क्योंकि जातिगत भेदभाव को कम करने और सामाजिक एकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक था।
हमारे देश में जनसंख्या में केवल अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों की जाति के बारे में ही जानकारी एकत्रित की जाती है।
तथा सामान्य एवं अन्य पिछडा वर्ग की जातिगत जानकारी नहीं ली जाती है।
देश में जाति जनगणना का इतिहास बहुत पुराना है। भारत में पहली जनगणना 1872 में हुई थी, और तब से, यानी 1881 से, हर दस साल में नियमित जनगणना की जाती रही है।