इस आधुनिक ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ को बनाने वाले इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष के छात्र शिवम मौर्य हैं, बाइक को बनाते समय सूरत के कबाड बाजार से मिले कुछ पुर्जों का इस्तेमाल किया है। दिलचस्प बात यह है कि, इस हबलेस इलेक्ट्रिक बाइक का नाम ‘गरुड’ रखा है, जिसे भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है।
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’
सूरत की सडको पर दौडती एक आधुनिक ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। चौडे हबलेस पहियों, अनोखी सीटिंग संरचना और बिना किसी आवाज के सडक पर आराम से चलने वाली यह बाइक देखने वालों को एक पल के लिए रुकने पर मजबूर कर देती है। इस बाइक का सबसे बडा आकर्षण इसका फ्यूचरिस्टिक डिजाइन है, जो आपको किसी हॉलीवुड साइंस फिक्शन फिल्म की सुपरबाइक की याद दिलाता है।
यह बाइक जहाँ भी जाती है, लोग इसे देखते ही रह जाते हैं और इसके साथ तस्वीरें खिंचवाने से खुद को रोक नहीं पाते। क्योंकि यह कोई साधारण बाइक नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से चलने वाली हबलेस ड्राइवरलेस मोटरसाइकिल है। दिलचस्प बात यह है कि इस अनोखी बाइक को सूरत के इंजीनियरिंग छात्रों ने अपनी रचनात्मकता के बल पर विकसित किया है।
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ को बनाने में कितना समय लगा है।
इस आधुनिक ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ बनाने में लगभग एक साल का समय लगा। इस दौरान उन्होंने डिजाइन, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और AI सिस्टम पर लगातार काम किया। दिलचस्प बात यह है कि इस बाइक को बनाते समय ज्यादातर पुर्जे वर्कशॉप में ही बनाए। उन्होंने फ्रेम, हबलेस स्ट्रक्चर, बॉडी कवर जैसे जरुरी पुर्जो को खुद डिजाइन और तैयार किया।
हालाँकि, कुछजरुरी पुर्जे बाजार से खरीदने पडे। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- पहिए
- अलॉय व्हील
- इलेक्ट्रिक मोटर
- कंट्रोलर सिस्टम
इन पुर्जो का चयन अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर, बाइक की दक्षता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ के लिए खास टायर – हार्ले और हायाबुसा का मिश्रण
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ का डिझाइन जितना अनोखा है, उसमें इस्तेमाल होने वाले पुर्जे भी उतने ही खास हैं। बाइक के आगे के पहिये में हार्ले-डेविडसन के टायर इस्तेमाल किए गए हैं, जबकि पिछले पहिये में हायाबुसा बाइक्स के पुराने टायर लगाए गए हैं। उन्होने टायर सूरत के कबाड बाजार से खरीदे थे। प्रोजेक्ट की लागत कम रखने और उच्च-प्रदर्शन वाले टायर पाने का यह सबसे अच्छा विकल्प था।
इसके अलावा, ‘गरुड’ बाइक के लगभग 70% पुर्जे अपनी वर्कशॉप में बनाए हैं। इसमें बाइक का फ्रेम, हबलेस स्ट्रक्चर, कवर डिजाइन जैसे प्रमुख पुर्जे शामिल हैं। बाकी 30% पुर्जे – जैसे अलॉय व्हील, इलेक्ट्रिक मोटर, कंट्रोलर – बाजार से खरीदे गए थे।
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ में क्या है खास?
फिलहाल, ‘गरुड’ एक प्रोटोटाइप इलेक्ट्रिक बाइक है। लेकिन इसकी खासियत सिर्फ डिजाइन तक ही सीमित नहीं है। इस बाइक की असली खासियत यह है कि इसे तीन अलग-अलग मोड में चलाया जा सकता है:
- मैनुअल मोड – एक साधारण बाइक की तरह चलाया जा सकता है
- रिमोट मोड – रिमोट कंट्रोल का उपयोग करके बिना ड्राइवर के चलाया जा सकता है
- ऑटोनॉमस मोड – पूरी तरह से स्वचालित, यानी बिना ड्राइवर, बिना रिमोट
यह बाइक 4 कैमरों और कई तरह के उन्नत सेंसर से लैस है। ये लगातार बाइक के आसपास की स्थिति पर नजर रखते हैं और सुरक्षित रिमोट या ऑटोनॉमस ड्राइविंग में मदद करते हैं।
सुरक्षा के लिहाज से यह बाइक खास है। ऑटोनॉमस ड्राइविंग के दौरान दुर्घटनाओं से बचने के लिए, इसमें अत्याधुनिक एआई एल्गोरिदम और सेंसर-आधारित ऑटो कंट्रोल सिस्टम लगाए हैं। इसलिए, बाइक को बिना ड्राइवर के भी सुरक्षित रूप से चलाया जा सकता है।
अत्याधुनिक सेंसर तकनीक और सुरक्षा प्रणाली
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ बाइक की सबसे बडी खूबी इसकी सुरक्षा तकनीक है। अगर बाइक बिना ड्राइवर के चलाई जाए, तो इसमें लगे उन्नत सेंसर बाइक के आस-पास की सडक की स्थिति पर लगातार नजर रखते हैं। अगर सडक पर कोई व्यक्ति या वस्तु बाइक के 12 फीट के दायरे में आ जाए, तो बाइक अपने आप धीमी हो जाती है। और अगर वह वस्तु 3 फीट के दायरे में आ जाए, तो बाइक तुरंत ऑटोमैटिक ब्रेक लगाकर रुक जाती है। इस सेंसर सिस्टम में अल्ट्रासोनिक सेंसर, एआई कैमरा और उन्नत एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे बाइक पूरी तरह सुरक्षित हो जाती है।
बैटरी पैक और चार्जिंग सिस्टम
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ एक सिंगल-सीट इलेक्ट्रिक बाइक है जो फिक्स्ड लिथियम-आयन बैटरी पैक से लैस है।
- बैटरी का प्रकार – फिक्स्ड लिथियम-आयन
- चार्जिंग विधि – मानक चार्जर के माध्यम से
- चार्जिंग समय – लगभग 3 से 4 घंटे
- एक बार चार्ज करने पर रेंज – लगभग 100 से 120 किमी
- अधिकतम गति – लगभग 90 किमी/घंटा (प्रोटोटाइप परीक्षण के अनुसार)
भविष्य में इस बाइक में फास्ट चार्जिंग तकनीक को शामिल करने की योजना है, जिससे 30 मिनट में 80% चार्जिंग हो जाएगी।
ड्राइविंग रेंज और टॉप स्पीड
ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ न केवल अपने अनोखे डिजाइन और AI तकनीक के लिए, बल्कि अपने शानदार प्रदर्शन के लिए भी जानी जाती है। इस बाइक में दो अलग-अलग राइडिंग मोड हैं – इको मोड और स्पोर्ट मोड।
बाइक को इको मोड में शहर में ड्राइविंग के लिए अनुकूलित किया गया है। इस मोड में, बाइक 200 से 220 किमी की बेहतरीन ड्राइविंग रेंज प्रदान करती है।
दूसरी ओर, स्पोर्ट मोड में, बाइक का पावर आउटपुट बढ जाता है, जिससे बाइक तेज चल सकती है। हालाँकि, इस मोड में बैटरी की खपत अपेक्षाकृत अधिक होने के कारण रेंज थोडी कम हो जाती है।
- स्पोर्ट मोड में रेंज – 150 से 160 किमी
- इको मोड में रेंज – 200 से 220 किमी
गति और भविष्य का प्रदर्शन
चूँकि ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ वर्तमान में एक प्रोटोटाइप मॉडल है, इसलिए इसकी टॉप स्पीड का अंतिम परीक्षण अभी पूरा नहीं हुआ है। यह बाइक अभी प्रोटोटाइप चरण में है और इसे पूरी तरह से खाली सडक पर परीक्षण नहीं किया है। हालाँकि, अब तक के कुछ परीक्षणों में, बाइक लगभग 70 किमी/घंटा की गति तक पहुँच गई है। भविष्य में, उच्च क्षमता वाली इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करके बाइक की शक्ति बढाने की योजना है। इस अपग्रेड के बाद, ‘गरुड’ बाइक की अधिकतम गति 100 से 120 किमी/घंटा तक बढाई जा सकती है। इसके अलावा, बाइक के एआई कंट्रोल सिस्टम, बैटरी परफॉर्मेंस और सुरक्षा तकनीक में लगातार सुधार कर रही है, जिससे भविष्य में ‘गरुड’ एक उच्च-प्रदर्शन वाली ड्राइवरलेस मोटरसाइकिल बन जाएगी।
बाइक निर्माण लागत
इस ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ को बनाते समय ज्यादातर स्थानीय पुर्जों का इस्तेमाल किया है, जिससे परियोजना की लागत कम रखने में मदद मिली है। बाइक के डिजाइन, प्रोटोटाइप, हार्डवेयर, इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, सेंसर, कंट्रोलर और असेंबली को पूरा होने में एक साल से ज़्यादा का समय लगा। सभी पुर्जे इकट्ठा करने, उन्हें असेंबल करने और प्रोटोटाइप पूरा करने के बाद, ‘गरुड’ बाइक बनाने की कुल लागत लगभग ₹1.80 लाख आई। यह लागत किसी हाई-परफॉरमेंस बाइक की तुलना में काफी कम है क्योंकि ज्यादातर पुर्जे वर्कशॉप में ही बनाए गए हैं। अगर भविष्य में इस बाइक का व्यावसायिक उत्पादन किया जाता है, तो बडे पैमाने पर उत्पादन के कारण इसकी कीमत और भी कम हो सकती है।
निष्कर्ष
इस लेख में आपको विस्तार से बताया गया है कि कैसे सूरत के युवा इंजीनियरिंग छात्रों ने AI-संचालित ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड’ बनाई, जिसके आधुनिक डिजाइन ने सभी को हैरान कर दिया। अगर आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इस लेख को लाइक, शेयर और कमेंट जरुर करें।
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